Aarti Hanumat Pyare Ki । ।आरती हनुमत प्यारे की
आरती हनुमत प्यारे की ,
पवन सुत राम दुलारे की।
आप प्रभु स्वयं रूद्र अवतार , राम की सेवा सरस विचार,
प्रकट भये सेवक कपि तनु धार।
हे अंजनि मात ,केसरी तात , हरस बलि जात ,
कीर्ति कपि कुल उजियारे की,पवन सुत राम दुलारे की।
आरती हनुमत प्यारे की ,
पवन सुत राम दुलारे की।
सुहावन कंचन वरन शरीर, विराजत हृदय सिया-रघुबीर ,
दिखाए झट वक्ष-स्थल चीर।
बुद्धि बल धाम , करे प्रभु राम ,गुनत गुन गान ,
प्राण तन मन धनवारे की ,पवन सुत राम दुलारे की।
आरती हनुमत प्यारे की ,
पवन सुत राम दुलारे की।
दास नहीं दूजो अस कोउ और ,स्वामी रघुवर समर्थ सिर मोर ,
आ प्रियतम शरण दीन हित ठोर।
बाल ब्रह्मचारी , सिया -राम पुजारी , हरी भक्त भंडारी ,
संत भक्तन रखवारे की, पवन सुत राम दुलारे की।
आरती हनुमत प्यारे की ,
पवन सुत राम दुलारे की।
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